** Just as blank ink, in its flow, acquires various shapes; mind, likewise, due to ignorance, assumes different forms।
जिस प्रकार काली स्याही बहकर कोई भी आकार धारण कर लेती है ,उसी प्रकार मन अज्ञानता में बहकर दु:ख आकार -प्रकार धारण कर लेता है !
** At the feet of the Guru doubts are cleared and self experience with yhe guru is shared.
गुरू चरणों में बैठ कर शिष्य करता है शंका समाधान। संशय निवृत कर निज अनुभव में लाता है आत्मज्ञान।
** Love is the manifestation of the self -illumined.
आत्मा प्रकाश है और प्रेम विकास।
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